मोटी पत्नी

मोटी पत्नी _ काका हाथरसी


~*~*~

~*~*~*~*~


ढाई मन से कम नहीं, तौल सके तो तौल

किसी-किसी के भाग्य में, लिखी ठौस फ़ुटबौल

लिखी ठौस फ़ुटबौल, न करती घर का धंधा

आठ बज गये किंतु पलंग पर पड़ा पुलंदा

कहँ ‘ काका ' कविराय , खाय वह ठूँसमठूँसा

यदि ऊपर गिर पड़े, बना दे पति का भूसा

*~*~*~*~

~*~*~*~