आँख तरेर कर, जब बेलन दिखलाय,
अंडा-डंडा गिर पड़ें, घर ठंडा हो जाय।

अपनी गलती नहिं दिखे, समझे खुद को ठीक,
मोटे-मोटे झूठ को, पीस रहा बारीक।

अपनी ही करता रहे, सुने न दूजे तर्क,
सभी तर्क हों व्यर्थ जब, मूरख करे कुतर्क|