xxव-चातुर्यप्राप्त हो जाए तो मिटे सकल संतापअक्कल दिन-दूनी बढ़े, छिपें पुराने पापछिपे पुराने पाप, बनाते रहिए भत्ताआज लखनऊ, कल दिल्ली, परसों कलकत्ताकहं ‘काका’, यह कला सीख बन जाओ नेतानेता को भगवान फाड़कर छप्पड़ देता