मूंछ महात्म्य


मूँछ महात्म्य _ काका हाथरसी
मूंछ महात्म्य सुना रहे, सुनो लगाकर कान
ऋषि-मुनि करते रहे, मूंछों का सम्मान

मूंछों का सम्मान कि जिसके मूंछ नहीं थी
भारत में उस प्राणी की कुछ पूछ नहीं थी

कहंकाकाकविराय, फिरंगी जबसे आया
भारत की मूंछों का सत्यानाश कराया।

काका की क्रिकेटकमेन्ट्री

काका की क्रिकेटकमेन्ट्री _ काका हाथरसी


हिन्दुस्तानी क्रिकिट के समझो फ़ूटे भाग

सेलेक्टरों ने दुबारा थोप दिये सहवाग

थोप दिये सहवाग किया आते ही फ़ायर

चौके ठोके तीन हो गये फ़ट्ट रिटायर

कहं
काका कविराय तनिक रुक जाते लल्ला

सोच समझ कर अगर चलाते अपना बल्ला

तेन्दुलकर जी ने रखी वही पुरानी टेक

कांख कांख कर थक गये टपकौ रन बस एक

टपकौ रन बस एक लला अब ओल्ड है गये

कुलसेकर ने गेन्द घुमायी बोल्ड है गये

कहाँ
काकाकहं काका कविराय द्रविड अब कांपे थर थर

भेज दिये युवराज दो विकिट के डाउन पर
चतुर चपल चंचल सुघड उनके गोलन्दाज

फ़र्नाडो के हाथ में लपक गये युवराज

लपक गये युवराज लिये मजबूत इरादा

कब तक रहते खडे बिचारे सौरव दादा

कह काका कवि गेन्द गयी घुटनन कूं छूके

एक बार फ़िर अर्ध शतक से सौरव चूके

चार विकिट-चौरानवे पर अपनौ स्कोर

सांस थाम दर्शक पडे शोर भयो कमजोर

शोर भयो कमजोर होय ना कछु अनहोनी

एक आस थी खेल जायेगें राहुल-धोनी

कहं काका कवि जबरदस्त तकदीर हमारी

जबर्दस्त दोनों बल्लन की साझेदारी

लप्प लप्प बल्ला चले बैठे सब दिल थाम

पांच विकिट पर मिल गयो मन वांछित परिणाम