अंबर कब था / डा.अजय चौधरी

अंबर कब था / डा.अजय चौधरी



अपने ग़म से हटकर कब था
वो इन्साँ पैग़ंबर कब था
जिसके बूढ़े सर पर पत्थर
बचपन उसका पत्थर कब था
कातिल की आँखों में रहता
रोती माँ का मंज़र कब था
प्यास समझता क्या औरों की
प्यासा रहा समंदर कब था
रोज बनानी थी छत उसको
उसके सर पर अंबर कब था