िशव का धनुष



िशव का धनुष _ काका हाथरसी

विद्यालय में आ गए इंस्पेक्टर-स्कूल,
छठी क्लास में पढ़ रहा विद्यार्थी हरफूल।

विद्यार्थी हरफूल, प्रश्न उससे कर बैठे,
किसने तोड़ा शिव का धनुष बताओ बेटे!

छात्र सिटपिटा गया बिचारा, धीरज छोड़ा,
हाथ जोड़कर बोला, सर! मैंने ना तोड़ा।

यह उत्तर सुन आ गया सर के सर को ताव;
फौरन बुलवाए गए हेडमास्टर साब

हेडमास्टर साब, पढ़ाते हो क्या इनको,
किसने तोड़ा धनुष नहीं मालूम है जिनको।

हेडमास्टर भन्नाया-फिर तोड़ा किसने?
झूठ बोलता है, जरूर तोड़ा है इसने।

इंस्पेक्टर अब क्या कहे, मन ही मन मुसकात,
ऑफिस में आकर हुई मैनेजर से बात।

मैनेजर से बात, छात्र में जितनी भी है,
उसमें दुगुनी बुद्धि हेडमास्टर जी की है।

मैनेजर बोला, जी हम चन्दा कर लेंगे,
नया धनुष उससे भी अच्छा बनवा देंगे।

शिक्षा-मंत्री तक गए जब उनके जज़बात,
माननीय गदगद हुए, बहुत खुशी की बात।

बहुत खुशी की बात, धन्य हैं ऐसे बच्चे,
अध्यापक, मैनेजर भी हैं कितने सच्चे।

कह दो उनसे, चन्दा कुछ ज्यादा कर लेना
जो बैलेन्स बचे वह हमको भिजवा देना।